देहरादून: उत्तराखंड में MBBS सीटें राज्य की जनसंख्या के मानकों से कहीं अधिक हैं, लेकिन विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी बनी हुई है। इसी के समाधान के तौर पर अब प्रदेश सरकार की प्राथमिकता PG (पोस्ट ग्रेजुएट) सीटें बढ़ाने की है। सरकार ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) को हर वर्ष PG सीटें बढ़ाने के लिए प्रस्ताव भेजना शुरू कर दिया है।
वर्तमान में उत्तराखंड के सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में MBBS की कुल 1425 सीटें हैं, जो NMC द्वारा मान्य हैं। राज्य में AIIMS ऋषिकेश सहित 6 सरकारी और 4 निजी मेडिकल कॉलेज संचालित हो रहे हैं।
MBBS सीटों की भरमार, विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी
पहले NMC ने 25 लाख की जनसंख्या पर 100 MBBS सीटों का मानक रखा था, जिसे अब घटाकर 10 लाख की आबादी पर 100 सीटें या एक मेडिकल कॉलेज कर दिया गया है। इस बदलाव के चलते राज्य में MBBS डॉक्टरों की संख्या जरूरत से अधिक हो गई है, लेकिन PG सीटें कम होने से डॉक्टर विशेषज्ञता की पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं।
PG सीटों में भारी कमी
फिलहाल उत्तराखंड के तीन सरकारी मेडिकल कॉलेज—दून, हल्द्वानी और श्रीनगर—में कुल 181 PG सीटें हैं। प्रदेश सरकार अब अल्मोड़ा और हरिद्वार के मेडिकल कॉलेजों में PG पाठ्यक्रम शुरू करने के साथ-साथ अन्य कॉलेजों में भी PG सीटें बढ़ाने की योजना पर काम कर रही है।
केंद्र से कम मिलेगा MBBS सीट बढ़ोतरी का लाभ
हाल ही में केंद्र सरकार ने देशभर में MBBS की 5000 नई सीटें बढ़ाने का निर्णय लिया है, लेकिन उत्तराखंड को इसका बहुत कम लाभ मिलेगा क्योंकि यहां पहले से ही MBBS सीटें भरपूर हैं। इसीलिए राज्य सरकार अब PG सीटें बढ़ाने पर फोकस कर रही है।
“प्रदेश में MBBS डॉक्टरों की संख्या पर्याप्त है। विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी को देखते हुए सरकार PG सीटें बढ़ाने का प्रयास कर रही है। इससे डॉक्टरों को MD/MS की पढ़ाई का अवसर मिलेगा और विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी दूर होगी।”
— डॉ. धन सिंह रावत, स्वास्थ्य मंत्री, उत्तराखंड
उत्तराखंड में मेडिकल कॉलेजों की MBBS सीटें
मेडिकल कॉलेज का नाम |
MBBS सीटें |
दून मेडिकल कॉलेज |
150 |
श्रीनगर मेडिकल कॉलेज |
150 |
हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज |
125 |
अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज |
100 |
हरिद्वार मेडिकल कॉलेज |
100 |
AIIMS ऋषिकेश |
150 |
हिमालयन मेडिकल कॉलेज, जौलीग्रांट |
150 |
सुभारती मेडिकल कॉलेज |
50 |
इंदिरेश अस्पताल |
200 |
ग्राफिक एरा मेडिकल कॉलेज |
150 |
अब सरकार का लक्ष्य है कि MBBS के बाद PG की पढ़ाई के अवसर प्रदेश में ही उपलब्ध कराए जाएं, ताकि उत्तराखंड के डॉक्टर यहीं रहकर विशेषज्ञ बन सकें और स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर किया जा सके।